बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
16वीं शताब्दी के प्रारम्भ से 18वीं शताब्दी के अन्त तक की अवधि के बीच यूरोप में व्यापारवाद का बोलबाला रहा। 18वीं शताब्दी के अन्त में वणिकवाद का शक्तिशाली गढ़ टूटना प्रारम्भ हो गया था। इस विचारधारा के पतन के बाद प्रकृतिवाद (Physiocracy) तथा प्रतिष्ठित विचारधारा (Classical School) का उदय हुआ। इन दोनों विचारधाराओं के प्रणेता क्रमशः केने (Quesnay) तथा एडम स्मिथ (Adam Smith) थे। एडम स्मिथ के द्वारा वणिकवादी विचारों की कड़ी आलोचना की गयी और उनकी पुस्तक Wealth of Nations का प्रकाशन मुख्य रूप से वणिकवाद के पतन के लिए उत्तरदायी था। इसके अतिरिक्त, व्यापारवाद के पतन में जिन परिस्थितियों एवं कारणों ने योग दिया, वे निम्नलिखित हैं
1. कॉलबर्ट की आर्थिक नीति का असफल होना - फ्रांस में कॉलबर्ट की आर्थिक नीतियाँ एक के बाद एक असफल होती चली गयीं। जिस कॉलबर्ट ने कृषि की अपेक्षा उद्योग-धन्धों को महत्वपूर्ण स्थान दिया था और औद्योगिक तथा व्यापारिक नियन्त्रणों की वैसाखी के सहारे उसे जीवित रखने का प्रयत्न किया था, लोगों ने उसका घोर विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। अब लोग नियन्त्रणों की अपेक्षा स्वतन्त्र अर्थ- व्यवस्था पर अधिक विश्वास करने लगे थे। प्रतिबन्धित व्यापार की अपेक्षा निर्बाध व्यापार (laissez faire) को अधिक महत्वपूर्ण समझा जाने लगा। कृषि की दशा खराब हो जाने के कारण तथा राजकीय व्यय में वृद्धि होने से राजकोष खाली होने लगे। राजकोष में वृद्धि करने के उद्देश्य से लोगों पर भारी मात्रा में करारोपण किया जाने लगा। इस प्रकार की व्यवस्था से लोगों का तंग होना स्वाभाविक ही था, और अब वे व्यापारवाद की खुलकर आलोचना करने लगे।
2. कृषि एवं कृषक की दशा का असन्तोषजनक होना - वणिकवाद में व्यापार को प्रथम, उद्योग को द्वितीय तथा कृषि को तृतीय स्थान दिया गया था। कालान्तर तक यही व्यवस्था चलती रही। परिणामतः कृषक एवं कृषि की दशा बड़ी शोचनीय हो चुकी थी। किसानों पर कर लगाये गये थे। किसान जिस भूमि पर रात और दिन मेहनत कर रहा था, वही भूमि उसका पेट भरने में सहायक नहीं रही, क्योंकि 70 प्रतिशत भूमि पर बड़े-बड़े प्रभावशाली व्यक्तियों का अधिकार हो चुका था। शेष 30 प्रतिशत भूमि पर छोटे-छोटे किसान जीवन-यापन करने की असफल चेष्टा कर रहे थे। कर आदि देने के बाद उनके पास कुछ भी नहीं बच सकता था, क्योंकि अनाज के दाम काफी गिर चुके थे। धनी वर्ग किसान एवं श्रमिकों के बलबूते पर भोग-विलास का जीवन व्यतीत करने लगा था। विशेषकर फ्रांस में तो किसानों की दशा काफी खराब हो चुकी थी। कृषि सुधारों के बारे में जमींदार व सरकार दोनों ही उदासीन थे, क्योंकि व्यापार, विशेषकर विदेशी व्यापार को सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी समझा जाने लगा था। कालान्तर में इस व्यवस्था से फ्रांस की अर्थ-व्यवस्था को भारी आघात पहुँचा। इस सन्दर्भ में हैने के विचार उल्लेखनीय हैं। उसने लिखा है कि- "फ्रांस की अर्थ व्यवस्था उस विशाल रेल कारखाने के समान बन चुकी थी जिसकी टूट-फूट व ह्रास की क्षतिपूर्ति के लिए कोई प्रबन्ध नहीं किया गया था; फलतः उसकी उत्पादन क्षमता कुण्ठित हो चुकी थी और उसकी साख को ठेस लग चुकी थी।”
नये विचार व्यापार और उद्योग की अपेक्षा कृषि के पक्ष में अधिक थे। इन नये विचारों को कृषकों ने भरपूर समर्थन दिया। इंग्लैण्ड की कृषि क्रांति का प्रभाव फ्रांस में भी पड़ चुका था। फ्रांस के विचारक केने निर्बाधावाद की रूपरेखा प्रस्तुत करने में एकजुट हो गये थे। उसने व्यापार की अपेक्षा कृषि को सर्वाधिक महत्व दिया। प्रकृतिवादियों ने सिद्ध कर दिया कि कृषि से ही शुद्ध उपज (Net Product) प्राप्त होती है, जबकि व्यापार एवं उद्योग बाँझ हैं। इन विचारों ने व्यापारवाद की जड़ें हिला कर रख दीं।
3. अनुभव ने बता दिया था कि सोना-चाँदी पेट की भूख शान्त नहीं कर सकते - वणिकवाद की आलोचना करते समय हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि व्यापारवादी विचारकों ने सोने-चाँदी के संग्रह को सर्वाधिक महत्व दिया था। बाद में, यही बात व्यापारवाद के पतन का कारण बनी। वास्तव में, उस समय सोने-चाँदी के सिक्के चलन में थे। मुद्रा विनिमय का माध्यम बन चुकी थी। इसलिए सोने चाँदी की उपयोगिता बढ़ गयी थी, परन्तु सोना-चाँदी प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर सकता था। पेट के लिए सोने चाँदी की अपेक्षा वस्तुएँ अधिक उपयोगी समझी जाने लगीं। व्यक्ति के कल्याण का महत्व बढ़ने लगा जबकि सोने-चाँदी का महत्व कम होता चला गया।
4. नये अनुसन्धानों का प्रारम्भ - वणिकवाद औद्योगीकरण का प्रारम्भिक युग था। इस समय उत्पादन की प्रणाली वैज्ञानिक विधियों से संचालित नहीं थीं। ज्यों-ज्यों उत्पादन क्षेत्र में नये-नये अनुसन्धान होने लगे, त्यों-त्यों उत्पादन के क्षेत्र तथा तकनीकी में भी विस्तार होता गया। उत्पादन व व्यापारिक प्रतिबन्धों को धीरे-धीरे हटाया जाने लगा। स्वतन्त्र व्यापार को प्रगति के लिए उपयुक्त समझा जाने लगा। नियन्त्रित कम्पनियों के स्थान पर निजी कम्पनियाँ स्वेच्छा से आयात-निर्यात का कार्य करने लगी थीं। एकाधिकार के स्थान पर स्वतन्त्र प्रतियोगिता ने जन्म ले लिया। इस प्रकार जो प्रतिबन्ध व्यापारवाद को शासित कर रहे थे, जब वे ही समाप्त हो गये तो व्यापारवाद किस दमखम पर बना रहता?
5. एडम स्मिथ के विचारों का प्रभाव - व्यापारवाद पर गहरी चोट एडम स्मिथ के विचारों ने की। उसकी Wealth of Nations पुस्तक के प्रकाशन के बाद तो व्यापारवाद की रही-सही साख भी समाप्त हो गयी। उसने अपने विचारों से व्यापारवाद की कमजोरियों को लोगों के सामने रख दिया। निर्बाधावादियों व एडम स्मिथ ने मिलकर अहस्तक्षेप (laissez faire) की नीति का जोर-शोर से प्रचार किया और व्यक्ति को स्वतन्त्र छोड़ देने की नीति का समर्थन किया। एडम स्मिथ के अनुसार, वणिकवादी व्यवस्था व्यावसायिक वर्ग के द्वारा जनता के साथ किया गया एक धोखा था। "व्यापारियों और निर्माताओं के द्वारा अपने हितों में वृद्धि के लिये दिये गये कुतर्कों ने मानव समाज की सामान्य बुद्धि को भ्रमित कर दिया था। "
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि जिन तत्वों के आधार पर व्यापारवाद की आलोचना की जाती है लगभग वही तत्व व्यापारवाद की जड़ें उखाड़ने में प्रभावी सिद्ध हुए। इतने पर भी हम यह कह सकते हैं कि वणिकवाद का सर्वथा नाश नहीं हुआ है। उसके मूल विचार अभी भी जीवित हैं, भले ही उसकी उग्र व दुराग्रहपूर्ण चेष्टा मर चुकी है।
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- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
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- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
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- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
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